Monday, August 29, 2016

भारत की कूटनीति के आगे असहाय हुआ चीन

भारत ने इस समय अपनी कुशल कूटनीति व् विदेशनीति से चीन को असहाय कर रखा है व् क्योंकि वैश्विक समर्थन भी चीन के साथ नहीं हैं चीन गीदड़ भभकियों पे आ गया है, यदि मित्रों की बात करें तो इस समय पाकिस्तान व् उत्तर कोरिया को छोड़ कोई ऐसा देश नहीं है जिसे चीन अपना मित्र कह सके,

एक ओर पाक अधिकृत कश्मीर ,बलूचिस्तान व् गिलिगिट बाल्टिस्तान का नाम लेकर मोदी ने न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वहां हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन को उठाया है बल्कि वहां विरोध प्रदर्शन को हवा दे दी है, जिससे वहां लोग अब प्रतिदिन पाकिस्तान के विरुद्ध जुलुस निकाल रहे हैं व् पाकिस्तान का झंडा फूंक रहे हैं, और उनकी पाकिस्तानी पुलिस व् फौज से झड़पें हो रही हैं, जिससे 46 बिलियन डॉलर का चीन-पाक का CEPC व्यापार मार्ग खतरे में पड़ गया है,

दूसरा दक्षिण चीन सागर पर द्वीप बनाने के विषय पर चीन अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में केस हार गया है, चीन का विदेश मंत्री भारत का समर्थन मांगने भारत आया था जो उसे मिला नहीं, विश्व के सभी प्रमुख शक्तिशाली राष्ट्र इस समय चीन के विरुद्ध हैं,

तीसरे जिस अरुणाचल पर चीन अपना दावा करता रहा है व् वहां भारत द्वारा रोड बनाने व् विकास कार्य को आजतक रुकवाता रहा है वहाँ भारत ने न केवल सडकें व् अन्य विकास कार्य शुरू किये हैं बल्कि भारतीय वायु सेना ने 7 अडवांसड हवाई पट्टियाँ तैयार कर वहां सुखोई 30 MKI लड़ाकू विमान व् सुपर हरक्युलिस C 130J विमान तैनात कर दिए हैं,
भारतीय थल सेना ने अरुणाचल में 100 टैंकों की तैनाती की है व् 430 करोड़ की लागत से विश्व की तीव्रतम व् अचूक क्रूज़ मिसाइलें ब्रह्मोस भी अरुणाचल की सीमा तैनात कर दी है, और भारत वियेतनाम को वही मिसाइल ब्रह्मोस बेचकर चीन की नेवी के सिर पर दक्षिण चीन सागर में एक तलवार टांगने जा रहा है,

चीन ने पाकिस्तान के ग्वादार बन्दरगाह को व्यापार व् भारतीय नेवी पर निगाह रखने हेतु लिया था, किन्तु भारत ने पकिस्तान व् इरान के खराब हो चुके सम्बंधों का लाभ उठाया व् ग्वादार से 70 किलोमीटर आगे स्थित इरान का चाबहार बन्दरगाह ले लिया, जिससे व् चीन व् पाक द्वारा किसी भी अनुचित हरकत को चाबहार से रोक सके यह चीन व् पाकिस्तान को रणनीतिक थप्पड़ था

यहीं नहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है, अतः चीन के आर्थिक हितों को सीमित करने हेतु चीनी उत्पादों पर 11.5 से 13.5 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाई जा रही है

इसीका परिणाम है की जो चीन कभी भारत को कोई महत्व नहीं देता था व् पूरे एशिया में अपने को सुपर पावर बताता था वो आज भारत की इन छोटी छोटी रणनीतियों से खिसिया कर गीदड़ भभकियों पे आ गया है

Sunday, August 7, 2016

भाजपा समर्थकों व् तथाकथित "भक्तों" का विश्लेष्ण



मैंने एक विशेष बात पायी है भाजपा समर्थकों की प्रकृति के विषय में जिन्हें लोग उपहासात्मक रूप से “भक्त” भी कहते हैं, किन्तु ध्यान देने पे आप पाएंगे की ये वे लोग हैं जिनकी विचारधारा अन्य पार्टियों के समर्थकों की तुलना में कहीँ अधिक स्पष्ट है,व् ये भली प्रकार जानते हैं की उन्हें अपने नेतृत्व से क्या अपेक्षा है व् उन्हें भली प्रकार पता है की उन्हें क्या चाहिए, वे अपने विचार बिना संकोच के व्यक्त भी करते हैं, सच कहूँ तो अन्य किसी पार्टी के समर्थकों को मैंने कभी अपनी पार्टी नेतृत्व द्वारा उनकी विचारधारा से विपरीत बयान देने पर कभी आलोचना व् विरोध करते नहीं देखा,

किन्तु भाजपा समर्थकों पर ये लागू नहीं होता, वे यदि हर विपक्षी प्रोपगैंडा का मुखर होकर तर्कों, साक्ष्यों, मिडिया रिपोर्ट्स, न्यूज़ लिंक, राजनितिक बयानों,व्यक्तियों के परस्पर विरोधी वक्तव्यों व् उनके स्क्रीन शॉट्स के संग, घटनाओं का विश्लेष्ण कर उन घटनाओं के समय विभिन्न व्यक्तियों  की प्रितिक्रियाओं का उदाहरण प्रस्तुत कर कटाक्ष के संग उत्तर देते हैं,
वहीँ दूसरी ओर अपनी पार्टी नेतृत्व के बयान, जो उन्हें ठीक नहीं लगते वे उसकी भी मुखर होकर व् खुलकर स्पष्ट शब्दों में आलोचना करते हैं, चाहे वो वक्तव्य स्वयं नरेंद्र मोदी का ही क्यों न हो, उदाहरण के लिए मोदी के गौरक्षक वाले वक्तव्य की खुलकर सोशल मिडिया पर आलोचना हुई, व् मोदी को बाध्य होकर ट्विटर पर स्पष्टीकरण देना पड़ा, दयाशंकर के मामले में भी इन्ही लोगों ने उसपर कार्यवाही की मांग की थी व् बसपा द्वारा उसके परिवार पर की गयी टिप्पड़ीयों की भी अत्यंत कड़े शब्दों में भर्त्सना की थी, यही अंतर है भाजपा व् उसके समर्थकों में व् अन्य पार्टियों में क्योंकि भाजपा अपने समर्थकों के विचारों का संज्ञान भी लेती है व् एक संवाद भी स्थापित करती है,

किन्तु सबसे रोचक बात ये समझ आई की जिन्हें लोग भाजपा समर्थक अथवा “भक्त” कहते हैं ये लोग किसी एक व्यक्ति या पार्टी के भक्त है ही नहीं, ये तो राष्ट्रवादिता के भक्त हैं, और इन लोगों को जो भी व्यक्ति अथवा पक्ष राष्ट्र व् संस्कृति के हित में लगता है ये उसीका समर्थन करते हैं, अर्थार्थ जिन लोगों का “भक्त” कहकर उपहास किया जाता रहा है वे कोई "अंध भक्त" नहीं बल्कि राजनितिक रूप से सशक्त, जागरूक, अपने उद्देश्य के पार्टी अटल व् एक स्पष्ट व् सुदृढ़ विचारधारा के लोग हैं जिनकी निष्ठा किसी व्यक्ति विशेष अथवा पार्टी के प्रति है ही नहीं, बल्कि राष्ट्र व् संस्कृति की ओर है जिसके उत्थान हेतु वे समर्पित हैं, 
ये लोग हर उस पक्ष का साथ देते हैं, और केवल तब तक साथ देते हैं, जब तक वो इनके राष्ट्रहित व् संस्कृति हित के उद्देश्य की प्राप्ति के प्रति सजग व् कार्यरत है, ये विशेषता किसी अन्य पार्टी के समर्थकों में देखने को नहीं मिलती।

आम आदमी समर्थकों की बात करें तो वे अपने दागी नेताओं के बचाव में जी जान से जुटे पड़े थे, कांग्रेसियों की बात करें तो वे कांग्रेस के हर एक घोटाले को झूठ व् अफवाह बताने में लगे हुए थे, मायावती, मुलायम, लालू व् नितीश समर्थकों की बात करें तो उनके समर्थक पार्टी की हर तुष्टिकरण की नीति, हर अपराधिक घटना हर गलत निति को न्यायोचित ठहराने में लगे रहते हैं,

किन्तु इन सबसे जागरूक, सजग व् स्वतंत्र वही “भक्त” हैं जिन्हें आजकल हर बुद्धिजीवी, हर बड़ा मिडिया मुग़ल, हर लिबरल, हर पाकिस्तान समर्थक पानी पी-पी कर कोसता रहता है, उपहास उड़ाता रहता है, और करे भी क्यों न, यही तो वे लोग हैं जो इन लोगों को दर्पण साक्ष्यों,तर्कों व् कटाक्षों के द्वारा दिखाकर इनका पाखंड जनता के समक्ष उजागर कर दिया है

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...