Saturday, October 8, 2016

NDTV-भारत के विरुद्ध खड़ा एक भारतीय चैनल

ऐसे ही लोग NDTV तो रNDTV, देश विरोधी,बिकाऊ मिडिया,प्रेस्टीट्यूट्स व् भारत विरोधी नहीं कहते, ये देखिये इस गद्दार चैनल का देश विरोधी प्रेश्या रविश कुमार, लोगों से चीनी माल अवश्य खरीदने की अपील कर रहा है, जिससे की हम चीन का समान खरीदें और चीन हमारे ही पैसों को हमारे देश के विरुद्ध सैन्य तैयारियों में खर्च करे या हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान को देकर भारतियों पर आतंकवादी हमले करवाये, और भारत के सैनिक और नागरिक मरवाये। यानि ये देश का जयचन्द एक षड्यंत्र के अंतर्गत लोगों को बरगला कर उनका उनका धन देश के शत्रुओं के हाथ में दिलवाकर देश के विरुद्ध खड़े शत्रुओं को मजबूत करवाने का प्रयास कर रहा है।

इसका एक और आर्थिक पहलू ये भी है की लोग देश में निर्मित वस्तुएं न खरीदें और बेचारा देश का कारीगर, व्यापारी और दूकानदार बर्बाद हो, जिससे देश आर्थिक रूप से कमजोर हो जाये और देश के शत्रु सशक्त हो जाएँ,
इस देश का दुर्भाग्य यही है की जिस मिडिया का काम केवल आपको समाचारों से अवगत कराना है उसका एक बड़ा वर्ग व् पत्रकार सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत आप पर शत्रुओं का प्रोपगैंडा थोप रहे हैं, और देश के ही लोगों को देश के विरुद्ध खड़ा करवाकर देश के हितों पर आघात कर रहे हैं।

यही वो मिडिया हॉउस है जो सियाचिन पाकिस्तान को दिलवाने के पक्ष में न जाने कितनी चर्चाएं करवा चूका है, और अजय शुक्ला जैसे कांग्रेसी को रक्षा विशेषज्ञ बनाकर प्रस्तुत करता है और उसके द्वारा कभी बांग्लादेश समझौते पर बिना तर्क अथवा तथ्य के उँगलियाँ उठवाता है, तो कभी रफाल सौदे पर, कई बार तो भारतीय सेना की क्षमता पर भी प्रश्न उठवा चूका है,
उदाहरण के लिए उरी आतंकी हमले पर इसी अजय शुक्ला व् NDTV का कहना था की सेना के पास कोई भी सैन्य विकल्प नहीं है और यदि कुछ भी LOC को पार कर किया गया तो परमाणु हमला होगा, अब यथार्थ ये है की सेना ने LOC भी पार कर दी कार्यवाही भी कर ली और उरी का बदला भी ले लिया, और कोई परमाणु युद्ध नहीं हुआ, इसका अर्थ ये है की NDTV जनता को गुमराह कर उन्हें शत्रुओं का प्रोपगैंडा परोसकर उन्हें भ्रमित कर रहा है, और राष्ट्रहित के पथ से हटाकर लोगों को अपने ही देश के हितों के विरूद्ध खड़ा कर रहा है, जो की देशद्रोह व् गद्दारी की श्रेणी में आता है,

लोग अभी तक NDTV द्वारा मोदी और राइट विंग के विरुद्ध चलाये गए जहरीले और झूठे कैम्पेन को भूले नही हैं, न ही बरखा दत्त द्वारा कारगिल में कैमरे की फलैश चमकाकर, सेना को जवानों की स्थिति उजागर कर उनको पाकिस्तानियों द्वारा मरवाने को, न ही 26/11 के समय होटल के अंदर फंसे लोगों के परिजनों से लाइव टीवी पर मोबाईल द्वारा उनकी लोकेशन पूछवाकर उन्हें आतंकियों द्वारा मरवाने के षड्यंत्र को, न ही पठानकोट हमले में लाइव टीवी पर ये प्रसारित करने को की सेना का तेल डिपो व् शस्त्रागार किस ओर है, जिससे की पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका उन्हें बता सकें की किस प्रकार वे और अधिक घातक, भीषण और सटीक कार्यवाही कर सेना और जवानों को अधिकाधिक हानि पहुंचा सकते हैं,
अब समय आ गया है की सरकार इन विषयों का संज्ञान ले और इस प्रकार के मिडिया हॉउस व् पत्रकारों के रूप में छिपे देश के शत्रुओं पर उचित कर्यवाही करे।

Friday, October 7, 2016

भारत का अराजक विपक्ष

रोहित वेमुला का नाम लेकर दलित राजनीति करने वाले धूर्त व् नीच नेताओं का मुँह जांच रिपोर्ट के आने के बाद पुनः काला हो गया है, जाँच रिपोर्ट में कहा गया है की रोहित वेमुला दलित था ही नहीं, उसकी माँ ने आरक्षण का लाभ उठाने हेतु दलित होने का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाया था, वैसे यही बात मिडिया का एक छोटा सा वर्ग कह रहा था, तथा स्मृति ईरानी ने भी संसद में यही बात कही थी, किन्तु पूरे विपक्ष, मुख्यधारा के मिडिया तथा सत्ता विरोधी बुद्धिजीवी वर्ग और NGO ब्रिगेड ने बिना सच नकार दिया और देशव्यापी प्रदर्शन, धरने, मशाल और मोमबत्ती जुलुस निकलने में व्यस्त हो गए, उन्हें लगा की ये एक अवसर है जिससे वो सरकार पर दलित विरोधी होने का ठप्पा लगा सकते हैं, और उन्होंने भरसक प्रयास किया और लड़के की मृत्यु पर सब अपने स्वार्थ, राजनीती, एजेंडा और वोट बैंक की रोटियां सेंकने निकल पड़े, दलित वोट बैंक की आड़ में समान्य वर्ग को जी भर कर कोसा गया गलियां दी गयी, और बिन कारण के भला बुरा कहा गया, किन्तु अब जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक भी नेता,पत्रकार-एडिटर,बुद्धिजीवी व् NGO ब्रिगेड का व्यक्ति निकल कर नहीं आया जिसने अपनी गलती स्वीकारी हो और क्षमा मांगी हो। 

यह पहली बार नहीं है की झूठी बातें फैलाकर देश में आग लगाने का प्रयास किया गया है, दादरी के अख़लाक़ वाले मामले में, मुस्लिम औरत को फ़्लैट न मिलने का झूठा विषय, बौलीवुड की एक हस्ती द्वारा गौ रक्षकों पर झूठा केस दर्ज कराने का विषय, चर्चों पर हमलों के झूठे मामलों में भी कुछ ऐसे ही प्रयास हुए थे, जिनके द्वारा देश में हिंसा-दंगे व् आगजनी फैलाने का प्रयास विपक्ष के बड़े नेताओं,पत्रकारों-एडिटरों, इतिहासकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों,NGO ब्रिगेड व् चिन्तकों द्वारा किया गया,

इन अराजक सरकार विरोधियों की समस्या ये है की इनका समर्थन करने वाली व् इन्हें अनैतिक आर्थिक लाभ पहुंचाने वाली राजनितिक पार्टियां केंद्रीय सत्ता से बाहर है, जिससे इनके पास आने वाला धन और मिलने वाली सुविधाएं जैसे सरकारी निवास, मलाईदार पद, विभिन्न प्रकार के भत्ते और चापलूसी के उपहार स्वरूप मिलने वाले पुरस्कार व् पुरस्कार राशि, मुफ्त की विदेश यात्रायें व् उसका पूरा खर्च मिलना रुक गया है,और उसी बौखलाहट व् द्वेष के कारण ये लोग मौजूदा सरकार के शत्रु बन बैठे हैं और हर विषय और मुद्दे को झूठ का आवरण पहनाकर सरकार पर हमला कर उसका जनाधार खंडित करने का प्रयास कर रहे हैं। 

वहीँ दूसरी और सत्तादारी पार्टी को आर्थिक नीतियों द्वारा अर्थव्यवस्था को सुदृण करने, सरकारी सब्सिडी व् फंड की चोरी रोकने  व् उसका लाभ जनता तक पहुंचाने में अपार सफलता मिली है जिसके फलस्वरूप सरकार के प्रति जनता का विश्वास, आकर्षण व् लोकप्रियता बढ़ी है, जिससे सभी विपक्षियों को अपनी दुकानें बन्द होने का भय है,

अतः इसीलिए ये कुछ भी करके सत्तासीन पार्टी की छवि बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, चाहें देश में दंगे हो, आग लगे, देश की छवि को आघात हो या कानून व्यवस्था का ही संकट खड़ा हो जाए,
इन्हें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, इन्हें केवल जनता के संसाधनों व् धन का दोहन कर सत्ता चाहिए व् उसके द्वारा मिलने वाली सुविधाओं व् आर्थिक लाभ से मतलब है, बाकी न इन्हें देशहित से मतलब है, न जनता के हित से, एक दृष्टि से देखा जाए तो ये जनता के लिए अवसर है ऐसे लोगों के असली व्यक्तित्व, विचारधारा, उद्देश्य व् चेहरे पहचानने का।

Monday, August 29, 2016

भारत की कूटनीति के आगे असहाय हुआ चीन

भारत ने इस समय अपनी कुशल कूटनीति व् विदेशनीति से चीन को असहाय कर रखा है व् क्योंकि वैश्विक समर्थन भी चीन के साथ नहीं हैं चीन गीदड़ भभकियों पे आ गया है, यदि मित्रों की बात करें तो इस समय पाकिस्तान व् उत्तर कोरिया को छोड़ कोई ऐसा देश नहीं है जिसे चीन अपना मित्र कह सके,

एक ओर पाक अधिकृत कश्मीर ,बलूचिस्तान व् गिलिगिट बाल्टिस्तान का नाम लेकर मोदी ने न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वहां हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन को उठाया है बल्कि वहां विरोध प्रदर्शन को हवा दे दी है, जिससे वहां लोग अब प्रतिदिन पाकिस्तान के विरुद्ध जुलुस निकाल रहे हैं व् पाकिस्तान का झंडा फूंक रहे हैं, और उनकी पाकिस्तानी पुलिस व् फौज से झड़पें हो रही हैं, जिससे 46 बिलियन डॉलर का चीन-पाक का CEPC व्यापार मार्ग खतरे में पड़ गया है,

दूसरा दक्षिण चीन सागर पर द्वीप बनाने के विषय पर चीन अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में केस हार गया है, चीन का विदेश मंत्री भारत का समर्थन मांगने भारत आया था जो उसे मिला नहीं, विश्व के सभी प्रमुख शक्तिशाली राष्ट्र इस समय चीन के विरुद्ध हैं,

तीसरे जिस अरुणाचल पर चीन अपना दावा करता रहा है व् वहां भारत द्वारा रोड बनाने व् विकास कार्य को आजतक रुकवाता रहा है वहाँ भारत ने न केवल सडकें व् अन्य विकास कार्य शुरू किये हैं बल्कि भारतीय वायु सेना ने 7 अडवांसड हवाई पट्टियाँ तैयार कर वहां सुखोई 30 MKI लड़ाकू विमान व् सुपर हरक्युलिस C 130J विमान तैनात कर दिए हैं,
भारतीय थल सेना ने अरुणाचल में 100 टैंकों की तैनाती की है व् 430 करोड़ की लागत से विश्व की तीव्रतम व् अचूक क्रूज़ मिसाइलें ब्रह्मोस भी अरुणाचल की सीमा तैनात कर दी है, और भारत वियेतनाम को वही मिसाइल ब्रह्मोस बेचकर चीन की नेवी के सिर पर दक्षिण चीन सागर में एक तलवार टांगने जा रहा है,

चीन ने पाकिस्तान के ग्वादार बन्दरगाह को व्यापार व् भारतीय नेवी पर निगाह रखने हेतु लिया था, किन्तु भारत ने पकिस्तान व् इरान के खराब हो चुके सम्बंधों का लाभ उठाया व् ग्वादार से 70 किलोमीटर आगे स्थित इरान का चाबहार बन्दरगाह ले लिया, जिससे व् चीन व् पाक द्वारा किसी भी अनुचित हरकत को चाबहार से रोक सके यह चीन व् पाकिस्तान को रणनीतिक थप्पड़ था

यहीं नहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है, अतः चीन के आर्थिक हितों को सीमित करने हेतु चीनी उत्पादों पर 11.5 से 13.5 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाई जा रही है

इसीका परिणाम है की जो चीन कभी भारत को कोई महत्व नहीं देता था व् पूरे एशिया में अपने को सुपर पावर बताता था वो आज भारत की इन छोटी छोटी रणनीतियों से खिसिया कर गीदड़ भभकियों पे आ गया है

Sunday, August 7, 2016

भाजपा समर्थकों व् तथाकथित "भक्तों" का विश्लेष्ण



मैंने एक विशेष बात पायी है भाजपा समर्थकों की प्रकृति के विषय में जिन्हें लोग उपहासात्मक रूप से “भक्त” भी कहते हैं, किन्तु ध्यान देने पे आप पाएंगे की ये वे लोग हैं जिनकी विचारधारा अन्य पार्टियों के समर्थकों की तुलना में कहीँ अधिक स्पष्ट है,व् ये भली प्रकार जानते हैं की उन्हें अपने नेतृत्व से क्या अपेक्षा है व् उन्हें भली प्रकार पता है की उन्हें क्या चाहिए, वे अपने विचार बिना संकोच के व्यक्त भी करते हैं, सच कहूँ तो अन्य किसी पार्टी के समर्थकों को मैंने कभी अपनी पार्टी नेतृत्व द्वारा उनकी विचारधारा से विपरीत बयान देने पर कभी आलोचना व् विरोध करते नहीं देखा,

किन्तु भाजपा समर्थकों पर ये लागू नहीं होता, वे यदि हर विपक्षी प्रोपगैंडा का मुखर होकर तर्कों, साक्ष्यों, मिडिया रिपोर्ट्स, न्यूज़ लिंक, राजनितिक बयानों,व्यक्तियों के परस्पर विरोधी वक्तव्यों व् उनके स्क्रीन शॉट्स के संग, घटनाओं का विश्लेष्ण कर उन घटनाओं के समय विभिन्न व्यक्तियों  की प्रितिक्रियाओं का उदाहरण प्रस्तुत कर कटाक्ष के संग उत्तर देते हैं,
वहीँ दूसरी ओर अपनी पार्टी नेतृत्व के बयान, जो उन्हें ठीक नहीं लगते वे उसकी भी मुखर होकर व् खुलकर स्पष्ट शब्दों में आलोचना करते हैं, चाहे वो वक्तव्य स्वयं नरेंद्र मोदी का ही क्यों न हो, उदाहरण के लिए मोदी के गौरक्षक वाले वक्तव्य की खुलकर सोशल मिडिया पर आलोचना हुई, व् मोदी को बाध्य होकर ट्विटर पर स्पष्टीकरण देना पड़ा, दयाशंकर के मामले में भी इन्ही लोगों ने उसपर कार्यवाही की मांग की थी व् बसपा द्वारा उसके परिवार पर की गयी टिप्पड़ीयों की भी अत्यंत कड़े शब्दों में भर्त्सना की थी, यही अंतर है भाजपा व् उसके समर्थकों में व् अन्य पार्टियों में क्योंकि भाजपा अपने समर्थकों के विचारों का संज्ञान भी लेती है व् एक संवाद भी स्थापित करती है,

किन्तु सबसे रोचक बात ये समझ आई की जिन्हें लोग भाजपा समर्थक अथवा “भक्त” कहते हैं ये लोग किसी एक व्यक्ति या पार्टी के भक्त है ही नहीं, ये तो राष्ट्रवादिता के भक्त हैं, और इन लोगों को जो भी व्यक्ति अथवा पक्ष राष्ट्र व् संस्कृति के हित में लगता है ये उसीका समर्थन करते हैं, अर्थार्थ जिन लोगों का “भक्त” कहकर उपहास किया जाता रहा है वे कोई "अंध भक्त" नहीं बल्कि राजनितिक रूप से सशक्त, जागरूक, अपने उद्देश्य के पार्टी अटल व् एक स्पष्ट व् सुदृढ़ विचारधारा के लोग हैं जिनकी निष्ठा किसी व्यक्ति विशेष अथवा पार्टी के प्रति है ही नहीं, बल्कि राष्ट्र व् संस्कृति की ओर है जिसके उत्थान हेतु वे समर्पित हैं, 
ये लोग हर उस पक्ष का साथ देते हैं, और केवल तब तक साथ देते हैं, जब तक वो इनके राष्ट्रहित व् संस्कृति हित के उद्देश्य की प्राप्ति के प्रति सजग व् कार्यरत है, ये विशेषता किसी अन्य पार्टी के समर्थकों में देखने को नहीं मिलती।

आम आदमी समर्थकों की बात करें तो वे अपने दागी नेताओं के बचाव में जी जान से जुटे पड़े थे, कांग्रेसियों की बात करें तो वे कांग्रेस के हर एक घोटाले को झूठ व् अफवाह बताने में लगे हुए थे, मायावती, मुलायम, लालू व् नितीश समर्थकों की बात करें तो उनके समर्थक पार्टी की हर तुष्टिकरण की नीति, हर अपराधिक घटना हर गलत निति को न्यायोचित ठहराने में लगे रहते हैं,

किन्तु इन सबसे जागरूक, सजग व् स्वतंत्र वही “भक्त” हैं जिन्हें आजकल हर बुद्धिजीवी, हर बड़ा मिडिया मुग़ल, हर लिबरल, हर पाकिस्तान समर्थक पानी पी-पी कर कोसता रहता है, उपहास उड़ाता रहता है, और करे भी क्यों न, यही तो वे लोग हैं जो इन लोगों को दर्पण साक्ष्यों,तर्कों व् कटाक्षों के द्वारा दिखाकर इनका पाखंड जनता के समक्ष उजागर कर दिया है

Wednesday, June 22, 2016

रक्षा क्षेत्र में FDI का समर्थन क्यों व् रिटेल में FDI का विरोध क्यों


कल से कई प्रकांड ज्ञानियों, राष्ट्र के घोर शुभचिंतकों व् बुद्धिजीवियों को डिफेंस FDI पे तिगनी का नाच नाचते देख रहा हूँ, जिसे रक्षा क्षेत्र की थोड़ी समझ भी नहीं है वो भी विशेषज्ञ बनके कोसने में लगा हुआ है, इनमें अधिकांश या तो वामपंथी हैं या अपने को कट्टर व् घोर राष्ट्रवादी कहने वाले, उनके तर्क भी गजब के है, की जब रिटेल में FDI का विरोध किया था तो रक्षा क्षेत्र में FDI क्यों ?

सर्वप्रथम इन ज्ञानियों को एक ब्रह्म ज्ञान देना चाहता हूँ की राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है, राष्ट्र सुरक्षित है तभी ये लोग अपने को बुद्धिजीवी प्रमाणित करने हेतु इस प्रकार के तर्क वितर्क कर सकते हैं, यदि इजराइल ने विदेशी कम्पनियों व् तकनीक का सहारा नहीं लिया होता तो आज समाप्त हो चूका होता, न आज उसके पास रक्षा उद्योग ही होता, किन्तु लगता है की ज्ञानियों की आँखों पर एक छद्म राष्ट्रवाद व् स्वदेशी का पर्दा पड़ चूका है जिसकी वजह से ये राष्ट्रिय सुरक्षा की अनदेखी भी करने को तत्पर हैं,

वैसे अब क्या इनमे से कोई ज्ञानी बताएगा की भारत में कितनी भारतीय कम्पनियां लड़ाकु विमान, AESA राडार, इलेक्ट्रोनिक वारफेयर सूट, BVR मिसाइल, आर्म्ड ड्रोन, जेट इंजन, नाभिकीय एयरक्राफ्ट कैरियर, MIRV तकनीक से युक्त बैलिस्टिक मिसाइल बनाती हैं ?
और भारत में इन उपकरणों की निर्माता घरेलू कम्पनियों का कौन सा फलता फूलता बाजार है जो की ये विदेशी कम्पनियां आकर कब्जिया लेंगी ?

इन अति आवश्यक रक्षा उपकरणों की प्राप्ति में वर्षों का रिसर्च व् डेवलपमेंट लगता है तब जाकर ये उन्नत तकनीक प्राप्त की जाती है, जो ये विदेशी कम्पनियां अपने साथ लेकर आने को तैयार हैं, उन्हें मार्किट चाहिए हमें उन्नत तकनीक जिससे हम राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें, क्या अगले 20-30 वर्ष हम इन तकनीकों के रिसर्च व् डेवलपमेंट में लगा दें ये सोचकर की तब तक चीन व् पाकिस्तान विदेशों से उन्नत रक्षा तकनीक प्राप्त नहीं करेंगे न विकसित करेंगे व् न ही इन तकनीकों द्वारा भारत पर आक्रमण करेंगे ?

या फिर हम इन कम्पनियों के द्वारा लायी जा रही तकनीक को ग्रहण कर अपना घरेलु रक्षा उपकरणों का बजार विकसित करें व् अपने को आत्मनिर्भर करने में तेजी से आगे बढें ? जिस्से की हम वैश्विक तकनीक के समतुल्य आकर रिसर्च व् डेवलपमेंट में उनके साथ आगे बढ सकें ?

कुछ परम मूर्खो आलोचकों को अनुमान ही नहीं है की अपने को कट्टर राष्ट्रभक्त, स्वदेशी समर्थक सत्यापित करने की होड़ में वे वामपंथियों की गोद में जा बैठे हैं,
मैं चाहता हूँ की ये वामपंथी व् घोर राष्ट्रवादी ज्ञानी मेरा ज्ञानवर्धन करें की रिटेल FDI में कौन सी उच्च व् उन्नत तकनीक लगती है ?

हमारे पास एक अच्छा खासा विकसित रिटेल बाजार है जो की विदेशी किराना स्टोर्स के आने पर अनावश्यक दुष्परिणामों का शिकार बनेगा व् विदेशी किराना स्टोर घरेलू किराना स्टोर्स का ही मार्केट शेयर खायेंगी जिससे हानी हमारे देश के उन करोड़ों किराना स्टोर मालिकों व् उनमें काम करने वालों को होगी,
किन्तु रक्षा क्षेत्र में तो हमें अभी अपना मार्केट विकसित करना है, जिसके लिए इन विदेशी कम्पनियों द्वारा लायी जा रही उन्नत तकनीक की आवश्यकता है जिससे की हम उनकी तकनीक के द्वारा अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम हो सकें व् अपने रक्षा उपकरण स्वयं बना सकें तथा भविष्य में रक्षा उपकरणों को निर्यात कर अपने रक्षा उद्योग को रिसर्च व् डेवलपमेंट के लिए आत्मनिर्भर बना सकें .

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