Sunday, February 23, 2014

अन्ना के अनुसार किसी व्यक्ति की शुचिता के मानक क्या है?


क्या मैं यह प्रश्न करने की धृष्टता कर सकता हूँ की अन्ना हजारे के अनुसार किसी की शुचिता व् ईमानदारी के मानक क्या हैं? यह प्रश्न लोगों को अनुचित लग सकता है किन्तु लोकतंत्र में अन्य लोगों के समान मुझे भी अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार तो है ही, किन्तु उसके पूर्व मैं यह अवश्य स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की मैं निजी रूप से अन्ना हजारे का पूरा सम्मान करता हूँ, किन्तु मैं यह अवश्य जानना चाहता हूँ की क्या उनके अनुसार किसी व्यक्ति की ईमानदारी व् शुचिता की परिभाषा क्या मात्र आर्थिक ईमानदारी तक सीमित है ? क्या अन्ना की शुचिता की परिभाषा में नैतिक शुचिता का कोई स्थान नहीं ?




  •  बंगाल में मस्जिदों के इमाम व् चर्च के पादरी को ममता सरकार वेतन  देती है, किन्तु मंदिर के पुजारियों को नहीं

  • बंगाल में मुस्लिमों के लिए कई योजनायें चल रही हैं, किन्तु हिन्दुओं के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है,   भेदभाव क्यों ?

  • ममता सरकार ने विश्व का ऐसा अनूठा चिकित्सालय बनाने का प्रस्ताव दिया था जहाँ केवल मुस्लिमों का   उपचार हो, वो तो चारों ओर से हुई आलोचना से अपने पग पीछे खींचने पड़े

  •  ममता सरकार बंगलादेशी घुसपैठियों व् बर्मा के रोहिंगियाई मुस्लिमों के विरुद्ध कोई कार्यवाही क्यों नहीं   करती जबकी ममता भली प्रकार जानती हैं की ये लोग अवैध रूप से बंगाल में रहकर बंगाल के   मूल निवासियों के अधिकारों का दोहन कर रहे हैं

  •  बंगाल में इस्लामिक कट्टरपंथता बढती जा रही है , डेढ़ वर्ष पूर्व बंगाल में मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं के गाँव   पर किये गए आक्रमण व् हिन्दुओं के लगभग २०० घरों व् अन्य सम्पत्ति को जला देने के विषय   में आरोपियों के विरुद्ध ममता सरकार ने क्या कार्यवाही की है?

  • क्या अन्ना बंगाल में हुए 2500 करोड़ के शारदा चिटफंड घोटाले से अनभिग्य हैं ? जिसमें ममता बनर्जी के १३ नेताओं का नाम आया था जिनमें कुनाल घोष, मुकुल रॉय, टूटू बोस, उनके पुत्र श्रीन्जोय व् शौमिक, रजत मजुमदार शुभेंदु अधिकारी, मदन मित्र, कृष्णा चक्रवर्ती, समीर चक्रवर्ती, के.डी सिंह व् आसिफ खान जैसे तृणमूल के मंत्री व् वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं और अब तक उनपर ममता बनर्जी ने कोई कार्यवाही नहीं की हैं, और यदि अन्ना इससे अवगत हैं तो क्या वो स्वयं एक भ्रष्ट नेत्री का साथ नहीं दे रहे हैं ? 
अब यदि यह सब बातें सत्य हैं, तो फिर ममता बनर्जी को लोकसभा चुनाव में समर्थन व् ममता के पक्ष में प्रचार क्यों ? क्या अन्ना इससे अनभिग्य हैं की बंगाल में ममता सरकार मुस्लिम और हिन्दुओं में प्रत्यक्ष रूपसे भेद भाव करती है ? किन्तु यदि अन्ना हजारे के लिए व्यक्ति की नैतिक शुचिता का कोई महत्व नहीं केवल हवाई चप्पल पहनना व् आर्थिक रूप से इमानदार होना ही सबकुछ है, भले ही वह राजनितिक स्वार्थ हेतु धार्मिक आधार पर भेदभाव करता हो तो अलग विषय है….

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